द हाॅन्टिंग मर्डर्स : पार्ट - 7
"खुद पता नहीं कहां गायब थे जनाब! मुझे बुला कर और अब सारा इल्जा़म भी मुझ पर लगा रहे हैं।" - तृषा मोहित की तरफ देखती हुई बोली
"अरे यार यही था बस.... थोड़ा सा हल्का होने गया था साइड में...." - मोहित अपनी छोटी उंगली दिखाते हुए बोला
"ओह अच्छा, अब काम बता, क्या था?" - तृषा ने सीधे लफ्जों में पूछा
"काम? हां.. चल वहीं, उसी घर तक फिर चलना है हमें आज रात भी , तेरा ब्रेसलेट ढूंढने!" - मोहित तृषा के कंधे पर हाथ रखता हुआ बोला
"सिर्फ ब्रेसलेट ढूंढने? छोड़ ना वो इतना इंपॉर्टेंट नहीं है और ये ज़रूरी भी नहीं है कि वही उस घर में गिरा हो?" - तृषा मोहित के मज़ाक पर सोचते हुए एकदम गंभीरता से बोली तो मोहित ने अपना सिर पीट लिया।
"क्या हुआ अब तुझे? मैं तो बस...." - तृषा ने मोहित की तरफ देख कर कहा
"और भी काम है मुझे इडियट, तेरे ब्रेसलेट की तो..." - मोहित बोलते बोलते रुक गया।
"अरे लेकिन तूने ही तो कहा था अभी कि...." - तृषा फिर से कुछ बोलने को हुई
"इन्वेस्टिगेशन के लिए चलना है मेरी मां, वो मर्डर केस, याद है ना?" - मोहित ने जैसे उसे याद दिलाते हुए कहा
"हां, याद तो है लेकिन क्या पैदल चलेंगे, तेरी बाइक कहां है?" - तृषा मोहित के आगे पीछे उस की बाइक ढूंढती हुई बोली
"बाइक तो धोखा दे गई आज, दिन में ही।" - मोहित ने तृषा के सवाल का जवाब देते हुए कहा
"तो फिर कहीं, सच में पैदल ही चलने का इरादा तो नहीं है ना तेरा, यार मोहित! काफी दूर है वह जगह यहां से भी...." - परेशान सी शक्ल बनाते हुए तृषा ने जैसे उसे याद दिलाया तो उस की ऐसी शक्ल देख कर मोहित हंसते हुए बोला - "पहले तो नहीं सोचा था लेकिन अब सोचता हूं पैदल ही चलते हैं, कल सुबह तक तो बहुत पहुंच ही जाएंगे ना।"
"कोई मजाक करने का वक्त है ये?" - तृषा ने मुंह बनाते हुए मोहित को घूर कर देखते हुए कहा तभी उन दोनों के सामने एक कैब आ कर रुकी और मोहित ने उस तरफ इशारा किया।
"पहले नहीं बता सकता था कि कैब बुक कर दी है, ऑलरेडी।" - तृषा ने मोहित की तरफ देख कर शिकायती लहजे में कहा
"चल अब बैठ जल्दी, पागल नहीं हूं मैं, जो पैदल जाऊंगा इतनी दूर।" - मोहित कैब में बैठता हुआ बोला और तृषा भी उस के साथ ही बैठ गई।
"एक बात बता यार, इतना क्या इंटरेस्ट ले रहा है तू इस केस में? पुलिस इन्वेस्टिगेशन तो चल ही रही है ना।" - तृषा ने कैब में बैठे हुए मोहित से पूछा
"काम है यार! करना तो पड़ेगा ही..." - मोहित लापरवाही से बोला
"इस का मतलब किसी ने तुझे हायर किया है इस केस के लिए? है ना!" - तृषा मोहित की तरफ देख कर काफी कुछ समझती हुई बोली
"ओह! मैंने बताई नहीं थी क्या यह बात तुझे अब तक?" - मोहित नासमझी के आलम में बोल गया तो इस पर तृषा उसे अपनी आंखें छोटी करके घूर कर देखने लगी।
"अरे चिल यार! भूल गया था और इतना काम होता है टेंशन में नहीं याद रहता!" - मोहित तृषा के इस तरह देखने पर सफाई देते हुए बोला
"हां... हां... फालतू लोगों को बताना तो भूल ही जाते हैं लोग, तो तुझे भी क्यों याद रहेगा!" - तृषा ने नाराज़गी वाले लहजे में कहा
"अरे यार! क्या तू भी बीवियों की तरह शिकायत कर रही है, मुझे ये क्यों नहीं बताया, मुझे वो क्यों नहीं बताया, बोला ना भूल गया था।" - मोहित, तृषा के सवालों पर अब थोड़ा खीजता हुआ बोला
इसलिए तृषा भी इस बार कुछ नहीं बोली और चुपचाप मुंह फुला कर सारे रास्ते बैठी रही। मोहित ने एक दो बार उस से बात करने की कोशिश भी की तो भी तृषा ने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप ही दूसरी तरफ नज़रें फेर कर बैठी रही।
थोड़ी देर बाद, वह लोग उसी घर के सामने पहुंच गए और मोहित कैब से निकल कर अंदर झांकते हुए बोला - "बाहर निकलने का इरादा है या फिर आगे ही चली जाओगी कहीं और कैब वाले भैया के साथ..."
मोहित की यह बात सुन कर कैब ड्राइवर भी हंसने लगा और मोहित को घूरती हुई तृषा भी, बिना कुछ बोले ही कैब से बाहर निकल आई और तेज़ कदमों से मोहित से आगे आगे चलने लगी।
"क्या यार तृषा! अब बस भी कर, ख़त्म कर अपनी नाराज़गी, अब मैं काम करूं या फिर तुझे मनाऊं यहां बैठ कर?" - मोहित भी भाग कर उस के पीछे आता हुआ थोड़ी तेज़ आवाज़ में बोला
लेकिन तभी तृषा जल्दी से भाग कर वापस मोहित की तरफ आई और उस के मुंह पर हाथ रख कर उस की आंखों में ही देखने लगी।
मोहित को तृषा के ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी, इसलिए वह हैरानी से तृषा की तरफ देखता हुआ शायद कुछ बोलना चाह रहा था, लेकिन तृषा का हाथ उस के मुंह पर ही था इसलिए बोल नहीं पाया फिर उस ने इशारे से तृषा को हाथ हटाने के लिए कहा , तो तृषा ने उसे चुप रहने का इशारा किया और हाथ पकड़ कर एक साइड पर पेड़ के पीछे ले कर चली गई, जहां से वो दोनों आसानी से किसी को भी नज़र ना आए।
"अब ये सब क्या है तृषा, अभी तक तो नाराज़ थी और अब अचानक से मूड बदल गया तेरा, इतनी ज्यादा रोमांटिक...." - मोहित तृषा की आंखों में देखते हुए शरारत वाले अंदाज में बोला
"शट अप यार! जब देखो तब मस्ती मज़ाक , सीरियस ले लिया कर कभी तो मुझे..." - तृषा उस की बांह पर मारती हुई बोली
"क्या मतलब? तू सीरियस है मुझे ले कर, प्रपोज व्रपोज तो नहीं करने वाली ना ऐसे कोने में ला कर।" - मोहित अपने मुंह पर हाथ रख कर शाॅक्ड होने की एक्टिंग करता हुआ बोला
"चुप एकदम चुप, अब कोई और बकवास नहीं और मेरी बात सुनो, वहां पर कोई और भी है और तुम इतनी तेज़ बोल रहे थे उन का ध्यान हमारी तरफ हो जाता और हमें पता भी ना चल पाता कि कौन है वह लोग? बस इसलिए तुम्हें चुप कराने के लिए ऐसा किया मैंने।" - तृषा मोहित को घूरते हुए उसे पूरी बात बताती हुई बोली
"ओह थैंक गॉड! उन लोगों से छिपने के लिए किया तुम ने यह सब मुझे तो लगा कि..." - मोहित आगे और भी कुछ बोलने वाला था लेकिन जब उस ने तृषा को खुद की तरफ घूरते हुए पाया तो चुप हो गया और सीरियस भी।
"अच्छा कहां पर दिखें, तुम्हें वह लोग और चेहरा देखा क्या तुम ने किसी का?" - मोहित ने फुसफुसाते हुए धीरे से तृषा के कान में पूछा
"वो उस तरफ तो लोग अंदर की तरफ हैं, चेहरा तो नहीं देख पाई मैं लेकिन परछाई देखी और आवाज भी सुनी, एक से ज्यादा लोग हैं शायद" - तृषा ने उंगली से इशारा करते हुए मोहित को बताया
"चल आगे चल कर देखते हैं, शायद पुलिस वाले हों, यहां ऐसे छिपे रहने से तो कुछ नहीं होगा।" - मोहित ने तृषा से कहा तो तृषा ने भी हां मेंअपना सिर हिलाया लेकिन उस के चेहरे पर चिंता की लकीरें भी साफ दिख रही थी और माथे पर उभरी पसीने की बूंदे भी...
कुछ दूर आगे चल कर तृषा मोहित का हाथ कस कर पकड़ती हुई बोली - "पुलिस के अलावा , खतरनाक लोग हुए या फिर वही जिन्होंने मर्डर किए हैं तो?"
"तो अच्छी बात है ना उन्हीं को तो ढूंढ रहे हैं इतने वक्त से" - मोहित एकदम बेपरवाही से बोला और आगे बढ़ता रहा, लेकिन फिर उस ने पीछे मुड़ कर तृषा के चेहरे की तरफ देखा तो वह उसे काफी परेशान और घबराई हुई लगी।
"वैसे भूत तो नहीं देखा ना तूने, क्योंकि ज्यादातर लोगों के हिसाब से तो भूतों ने ही किए हैं ना यह मर्डर।" - तृषा का ध्यान भटकाने के लिए मोहित ने यह बात बोली
"कोई भूत प्रेत नहीं होता है, तू ना फालतू मुझे डराने की कोशिश मत किया कर।" - तृषा उस की बात पर बोली और अब तक वह दोनों उस घर की बाउंड्री वॉल के उस हिस्से तक पहुंच चुके थे, जहां से बाउंड्री वॉल काफी ज्यादा टूटी हुई थी और वहां से झांक कर देखने पर कोई भी और दिखाई भी नहीं दे रहा था।
ज्यादा ऊंची नहीं थी उस तरफ की बाउंड्री वॉल, इसलिए वह दोनों आसानी से कूद कर उस घर के अहाते में आ गए।
"यहां पर तो कोई भी नहीं है, किस तरफ देखा था तूने?" - मोहित चारों तरफ नज़र घुमाता हुआ बोला
"हो सकता है चले गए हो या फिर हमें देख कर छिप गए हो?" - तृषा को भी जब वहां पर उन दोनों के अलावा कोई और दिखाई नहीं दिया तो वह भी थोड़ा सोचती हुई बोली
"चल छोड़! हम जो करने आए थे वो करते हैं।" - मोहित ने कहा और घर के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा, लेकिन तभी उस की नज़र जमीन में मिट्टी पर बने दो जोड़ी पैरों के निशानों पर पड़ी, जो कि घर के अंदर की तरफ ही था रहे थे।
मोहित ने इशारे से वह पैरों के निशान तृषा को भी दिखाएं और उसे चुप रहने का इशारा करते हुए, वो दोनों दबे पांव पैर के निशानों का पीछा करने लगे।
क्रमशः
Inayat
05-Mar-2022 01:20 AM
Behtarin kahani
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The traveller
24-Feb-2022 01:47 PM
बहुत खूबसूरत कहानी लिखी है।
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